नोबेल पुरस्कार विजेता Amartya Sen का आरोप सरकार को पसंद ना आने वाले व्यक्ति को जेल भेज रही है

नोबेल पुरस्कार विजेता Amartya Sen के बयान ने एक नए विवाद को तूल दे दी है। अमर्त्य सेन ने एक ही न्यूज़ एजेंसी के जरिए दिए गए इंटरव्यू के मेें दावा किया है, कि देश में और असहमति की गुंजाइश कम हो गई है। उन्होंने ये दावा किया कि मनमाने तरीके से देशद्रोह के आरोप थोप कर लोगों को वगैर मुकदमे के जेल भेजना भेजा जा रहा है। हालांकि सेन की आलोचना के केंद्र में रहने वाली भाजपा सरकार ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया है।

नोबेल पुरस्कार विजेता Amartya Sen

हार्वड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक के अमर्त्य ने पीटीआई को ईमेल के जरिए दिए एक साक्षात्कार में केंद्र के तीन नये कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि इन कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक मजबूत आधार है। उनका कहना है कि जो भी व्यक्ति सरकार को पसंद नहीं आ रहा सरकार द्वारा उसे आतंकवादी घोषित किया जा सकता है, और उसे जेल भेजा जा सकता है।

सेन ने यह भी कहा असहमति और चर्चा की गुंजाइश कम होती जा रही है, लोगों पर देशद्रोह का मनमाने तरीके से आरोप लगाकर बगैर मुकदमा चलाए जेल भेजा जा रहा है।

नोबेल पुरस्कार विजेता Amartya Sen ने कहा कन्हैया, उमर, शेहला के साथ गलत व्यवहार

अमर्त्य सेन का कहना है कि कन्हैया कुमार, उमर खालिद और शहला रशीद जैसे युवाओं के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने तो उमर खालिद को स्पेशल सेल ने दिल्ली में हुए दंगों का मास्टर माइंड बताया है, और अभी अदालत का फैसला आना बाकी है। इन युवा एवं दूर दृष्टि रखने वाले नेताओं के साथ राजनीतिक संपत्ति की तरह व्यवहार करने के बजाय उनके साथ दमन योग्य दुश्मनों जैसे बर्ताव किया जा रहा।

विश्व भारती विश्वविद्यालय में बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक लेटर लिखा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग उनकी जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं इस चिट्ठी में सिम का नाम भी शामिल था अभी यह विवाद सुर्खियों में छाया हुआ है इसको लेकर ममता बनर्जी की बीजेपी हमलावर है। अमर्त्य की लड़ाई वैचारिक है। https://www.fastkhabre.com/archives/2621

नए तीनों  कृषि कानून के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं उनका कहना है कि पहली जरूरत यह है कि उपयुक्त चर्चा की जाए ना के कथित तौर पर बड़ी रियायत देने की बात कही जाए जो बहुत छोटी है दिल्ली सीमाओं पर नए कृषि कानून के खिलाफ 1 महीने से अधिक हजारों किसानों के प्रदर्शन करने के मद्देनजर सेन ने यह टिप्पणी दी है।

सेन ने यह भी कहा कि भारत में  वंचित समुदायों के साथ व्यवहार में बड़ा अंतर मौजूद है। उन्होंने कहा कि शायद सबसे बड़ी खामी, नीतियों का घालमेल है। जिसके चलते बाल कुपोषण का इतना भयावह विस्तार हुआ। इसके उलट हमें विभिन्न मोर्चे पर अलग-अलग नीतियां की जरूरत है।