रामायण’ सीरियल से मशहूर हुए अभिनेता अरुण गोविल (Arun Govil joins BJP) गुरुवार को बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए। रामानंद सागर के सीरियल ‘रामायण’ में उन्होंने भगवान राम की भूमिका निभाई थी। अरुण गोविल ने दिल्ली में बीजेपी कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह मौजूद रहे। चुनावों से पहले बीजेपी के लिए यह अहम है।सदस्यता ग्रहण करने के बाद अरुण गोविल ने कहा कि, ‘इस समय जो हमारा कर्तव्य है वो करना चाहिए। मुझे राजनीति आज से पहले समझ नहीं आती थी। लेकिन मोदी जी ने जब से देश को संभाला है तब से देश की परिभाषा ही बदल गई है। मेरे दिल दिमाग में जो होता है कर देता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि, ‘अब मैं देश के लिए योगदान देना चाहता हूं। इसके लिए हमें एक मंच की जरूरत होती है। बीजेपी आज इसके लिए सबसे अच्छा मंच है। मैंने पहली बार देखा कि ममता बनर्जी को ‘जय श्री राम’ के नारे से एलर्जी हुई। जय श्री राम केवल एक नारा नहीं है।’ बता दें कि ‘रामायण’ के श्रीराम से पहले धारावाहिक में रावण और सीता की भूमिका निभा चुके अभिनेता अरविंद त्रिवेदी और अभिनेत्री दीपिका चिखलिया ने भी बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव लड़ा था।
Table of Contents
Arun Govil joins BJP गोविंद ने कहा ममता को जय श्री राम बोलने पर एलर्जी क्यों
इस अवसर पर गोविल ने कहा कि ममता बनर्जी को जय श्रीराम कहने से एक तरह की एलर्जी है। उन्हें समझना चाहिए कि भगवान श्रीराम हमारे आदर्श हैं। गोविल ने कहा कि जय श्रीराम कहने में कुछ भी बुरा नहीं है। यह कोई राजनीतिक नारा नहीं है। यह हमारे लिए जीने का तरीका है। यह हमारी संस्कृति और संस्कार का प्रतिनिधित्व करता है।
बता दें कि अरुण गोविल पहले रामायण के ऐसे कलाकार नहीं हैं जो राजनीति में उतरे हों। भाजपा के टिकट पर ही ‘रामायण’ में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी ने साल 1991 में चुनाव लड़ा था। उस वक्त उन्होंने गुजरात के साबरकांठा सीट से चुनाव जीता था। ‘रामायण’ की ‘सीता’ यानी दीपिका चिखलिया ने भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। उन्होंने 1991 में गुजरात की बड़ोदा सीट पर चुनाव लड़ा था और जीता भी। वहीं, दारा सिंह भी भाजपा के साथ जुड़े और 2003 से 2009 तक राज्यसभा के नामित सदस्य रहे। हालांकि रामायण में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल की सियासी पारी को लेकर हमेशा चर्चा होती रही, लेकिन वे राजनीति के अखाड़े में अब तक नहीं उतरे थे।
इसे भी पढ़ें: हेमंत नागरानी बने मुंबई पुलिस कमिश्नर, 26/11 आतंकी हमले से बचाए थे कई लोगों की जान
मेरठ के कैंट इलाके में जन्मे अरुण गोविल ने सहारनपुर और शाहजहांपुर में अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की थी। इसके बाद मथुरा से बीएससी किया था। रामायण सीरियल में एक्टिंग से चर्चा में आए अरुण गोविल ने पहली बार 1977 में आई पहले फिल्म में एक्टिंग की थी। इस फिल्म को राजश्री प्रोडक्शंस ने तैयार किया था।
अरुण गोविल के पिता सरकारी नौकरी मे थे
अरुण के पिता श्री चंद्र प्रकाश गोविल सरकारी नौकरी में थे और बेटे से भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी, लेकिन वह कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसे लोग हमेशा-हमेशा याद रखें। बस वह 1975 में मुंबई पहुंच गए। हालांकि वह तब ऐक्टिंग का सपना लेकर मुंबई नहीं गए थे, बल्कि भाई के बिजनेस में हाथ बंटाने के मकसद से गए थे। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 17 वर्ष थी। वक्त बीतता गया और अरुण गोविल को अहसास हुआ कि वह जो काम कर रहे हैं, उसमें उन्हें मजा नहीं आ रहा है। उनका दिल नहीं लग रहा है। तब उन्होंने फैसला किया कि वह कुछ और करेंगे, जिसे वह इंजॉय भी कर सकें।
इसे भी पढ़ें: “The White Tiger” के ऑस्कर्स में नॉमिनेशन से प्रियंका चोपड़ा और राजकुमार काफी खुश, इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर खुशी जाहिर की
Arun Govil joins BJP 6 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर अरुण गोविल
चूंकि अरुण गोविल ने कॉलेज के दिनों में खूब नाटकों में काम किया था, इसलिए उन्होंने ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया। अरुण गोविल 6 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर थे। उनके बड़े भाई विजय गोविल ने तब्बसुम से शादी की थी, जो पहले चाइल्ड ऐक्ट्रेस थीं और सिलेब्रिटीज़ से चैट शो शुरू करने वाली पहली ऐक्ट्रेस थीं।
भाभी तब्बसुम के कारण उन्हें तीन फिल्मों में काम मिला
बस उनकी भाभी तब्बसुम ने उन्हें ताराचंद बड़जात्या से मिलवाया। वह अरुण गोविल से मिलकर इतने इम्प्रेस हुए कि उनके साथ उन्होंने 3 फिल्मों की डील साइन कर ली। फिर उन्हें डेब्यू फिल्म भी मिल गई ‘पहेली’, जो 1977 में रिलीज हुई थी। वहीं 3 फिल्मों की डील में उनकी पहली रिलीज फिल्म ‘सावन को आने दो’ थी, जो ब्लॉकबस्टर रही और वह सुपरस्टार बन गए। इसके बाद 1981 में वह कनक मिश्रा की ‘जियो तो ऐसे जियो’ में दिखे, जो सुपरहिट रही।