Bihar School Reopen: बिहार के माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, हाई स्कूल कोचिंग और अन्य संस्थान 14 मार्च से ही बंद है। अब उसे पूरे 9 महीने से अधिक हो गया है। जिसे अब सरकार खोलने जा रही है। इसके लिए कई चुनौतियों से गुजरना होगा। यह चुनौतियां स्कूल, विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावक सबके लिए होगा। इसमे कोरोना को देखते हुए बच्चों पर ज्यादा ध्यान देना होगा। बच्चों के पढ़ाई की क्षति को पूर्ति करने के लिए बड़ी मेहनत करनी होगी। क्योंकि फरवरी से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाएगी। ऐसे तो स्कूल की तरफ से ऑनलाइन क्लास देकर पढ़ाई को पूरा करने की कोशिश की गई है। Bihar School Reopen के लिए कई चुनौतियां
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बच्चों की सुरक्षा के लिए अभिभाव को दिलाना होगा भरोसा
इन सब में सबसे बड़ी बात यह है कि स्कूल को अभिभावकों को ये भरोसा दिलाना होगा कि उनके बच्चे स्कूल में सुरक्षित है। उसके बाद शिक्षक को यह भी ध्यान रखना होगा कि इतने लंबे समय के बाद बच्चे स्कूल जाएगे तो ज्यादा उछल कूद करेंगे। ऐसे में शिक्षकों को डिस्टेंस बनाकर रखना बेहद मुश्किल होगा।https://www.fastkhabre.com/archives/2500
Bihar School Reopen होते ही फरवरी में शुरू हो जाएगी परीक्षा
स्कूल खुलते ही फरवरी में वार्षिक परीक्षा शुरू हो जाएगी। ऐसे में नियमित होकर और गुणवत्ता के साथ कक्षा संचालन के लिए टफ काम होगा। मेट्रिक का प्रैक्टिकल 20 से 22 जनवरी तक होगा, वही इंटर का प्रैक्टिकल 9 से 18 जनवरी तक होगा। उसके बाद फरवरी में इंटर और मैट्रिक की परीक्षा होनी है। 1 से 23 मई तक परीक्षाएं चलेगी।
Bihar School Reopen होने के बाद चुनौतियां
- बच्चों शिक्षकों और कर्मियों के लिए 27 एवं थर्मल स्कैनर जैसे अन्य चीजों की व्यवस्था करनी होगी।
- अभिभावकों को विश्वास दिलाना होगा कि उनके बच्चे स्कूल में सुरक्षित हैं।
- पूरे स्कूल को रोजाना सफाई के साथ-साथ सैनिटाइजेशन की व्यवस्था करनी होगी।
- बच्चों के लंच के टाइम सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा।
शिक्षक के लिए चुनौतियां
- कोरोना काल में जिन बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की या नहीं की है उस बच्चों का सिलेबस साथ लेकर चलना।
- एक सेक्शन के बच्चों के 2 दिन आने से एक ही टॉपिक को 2 दिन पढ़ाकर सिलेबस कम टाइम में पूरा करना।
- बोर्ड इंटर की परीक्षाओं की जिम्मेदारी के साथ स्कूल की कक्षाओं का संचालन करना।
बच्चों के लिए चुनौतियां
- वाहनों से विद्यालय आने के दौरान सावधानी बरतना।
- कक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठना।
- स्कूल में पूरे समय तक मास्क लगाए रहना।