नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग की ओर से मानसून को लेकर खुशखबरी (Good news about monsoon) आई है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल के मानसून सीजन (जून-सितंबर 2021) के दौरान देशभर में सामान्य मानसून होने की ज्यादा संभावना है और सामान्य से कम मानसून की आशंका कम है। मौसम विभाग ने पूरे मानसून सीजन के दौरान अधिकतर संभावना 96-104 प्रतिशत बरसात होने की लगाई है।
प्रेस कॉनफ्रेंस में मौसम विभाग ने बताया कि मानसून के दौरान इस साल ला-नीना (La-Nina) की संभावना काफी है। आपको बता दें कि 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच हुई बारिश को औसत या सामान्य मानसून के रूप में परिभाषित किया जाता है। आमतौर पर 1 जून के आसपास केरल के रास्ते दक्षिण पश्चिमी मानसून भारत में प्रवेश करता है। 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते मानसून की वापसी होती है।
Good news about monsoon किसानों के लिए खुशबरी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 20 करोड़ किसान धान, गन्ना, मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी कई फसलों की बुआई के लिए मानसून की बारिश का इंतजार करते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि देश की खेती लायक करीब 50 फीसदी जमीन में सिंचाई की सुविधाओं की कमी है। इसके चलते कृषि उत्पादन का भारत की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 14 फीसदी की भागीदारी है।हालांकि, यह सेक्टर देश की करीब 65 करोड़ से अधिक आबादी को रोजगार देता है। भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है यानी करीब 50 फीसदी लोगों को खेती-किसानों में रोजगार मिला हुआ है।
Good news about monsoon मॉनसून में कब कितनी बारिश
- जून में औसत का 106% बारिश संभव
- जून में सामान्य बारिश की संभावना 70%
- जुलाई में औसत का 97% बारिश संभव
- जुलाई में सामान्य बारिश की संभावना 75%
- अगस्त में औसत का 99% बारिश का अनुमान
- सितंबर में 116% बारिश का अनुमान
आइए जानते हैं क्या होता है अल-नीनो
मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली में 3 दिन तेज गर्मी पड़ने के आसार हैं। अधिकतम तापमान 40 डिग्री तक पहुंच सकता है। वहीं मध्य प्रदेश में कोरोना के साथ ही मौसम भी अपने तेवर बदल रहा है। यहां अप्रैल के तेज गर्मी वाले महीने में पिछले 24 घंटे से तेज हवाएं और बारिश देखने को मिल रही है। मौसम विभाग ने प्रदेश में बारिश की संभावना जताई है। राजस्थान में गर्मी दो दिन तक और सता सकती है।
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अल-नीनो की वजह से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, इससे हवाओं का रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है। इसका असर दुनिया भर में दिखाई देता है।
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अल नीनो बनने से भारत और आस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है, जबकि अमेरिका में भारी बारिश होती है। जिस वर्ष अल-नीनो की सक्रियता बढ़ती है, उस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून पर उसका असर निश्चित रूप से पड़ता है।
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भारत में दक्षिण पश्चिमी मानसून को ही मानसून सीजन कहा जाता है क्योंकि जून से सितंबर तक 70 फीसदी बारिश इन्हीं चार महीनों के दौरान होती है। भारत में अल नीनो के कारण सूखे का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।