पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही महिलाएं एक बार जरूर देखें

जेष्ठ मास की अमावस्या की तिथि में वट सावित्री मनाया जाता है। 30 मई का दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है।

ऐसे शुभ संयोग में वट सावित्री का व्रत अत्यंत फलदायक सिद्ध होगा।

वट सावित्री के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ का काफी महत्व होता है। इस दिन बरगद के पेड़ की ही पूजा की जाती है। 

पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।

वट सावित्री का व्रत सुहागन महिलाएं रखती है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं।

वट सावित्री के पावन दिन सुहागन महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर 21 या 108 बार परिक्रमा करती हैं।

इस दिन प्रातःकाल घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।

इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें। बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें। 

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