World Sleep Day: हर साल मार्च महीने में वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है, आइए जानते हैं इसके महत्व और विषय के बारे में

हर साल मार्च महीने के तीसरे शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे (World Sleep Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद लोगों को नींद और सेहत के प्रति जागरूक करना है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाती है लेकिन कुछ लोग रात भर करवट बदलने के बाद भी जल्दी नहीं सो पाते हैं। आजकल लोग भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कम सोने लगे हैं। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके लिए डॉक्टर्स रोजाना कम से कम 8 घंटे सोने की सलाह देते हैं। इस साल ‘विश्व स्लीप डे’ का थीम ‘Regular Sleep, Healthy Future’ है। आइए, ‘विश्व स्लीप डे’ के महत्व के बारे में जानते हैं।

World Sleep Day

World Sleep Day का विषय

इस वर्ष वर्ल्ड स्लीप डे का विषय है- ‘नियमित नींद, स्वस्थ भविष्य’ अर्थात वर्तमान की आवश्यकता है कि हम सभी नियमित रूप से बराबर नींद लें ताकि एक स्वस्थ भविष्य कि कल्पना कर सकें। यदि हमारी नींद पूरी नहीं होगी तो हमारी कार्यक्षमता और स्वास्थ्य दिन-ब-दिन प्रभावित होगा इसलिए सभी लोग नींद के प्रति लापरवाही न बरतते हुए इसको पूरा आठ घंटे का समय दें इसलिए इस विषय को चुना गया है।

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नींद नहीं आने का मोबाइल सबसे अधिक जिम्मेदार

लोगों को लगता है नींद न आना एक सामान्य समस्या है लेकिन दिन-ब-दिन यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। कई सारे लोग इस समस्या से परेशान हैं। पहले ये समस्या बुजुर्गों में ही देखी जाती थी लेकिन आजकल युवा भी इससे परेशान है। बदलती दिनचर्या और मोबाइल अनिद्रा की समस्या के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं।

World Sleep Day

दिलचस्प बात यह है कि इस साल 24% लोगों ने कहा कि वे अनिद्रा से डरते हैं। जबकि बीते साल इनका आंकड़ा केवल 19 फीसदी ही था। ये नतीजे 16,000 उत्तरदाताओं के डेटा पर आधारित हैं, जो भारत के 18 शहरों में रह रहे हैं और जिनकी उम्र 18 से 45 साल तक है। इनका मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक सर्वे किया गया। जब से कोराना पैनडेमिक है तब से कुल मिलाकर भारतीय अपनी नींद पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि सर्वे में 42% ने कहा है कि गद्दे की बेहतर गुणवत्ता से उनकी नींद की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। जबकि पिछले साल ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या केवल 22% थी। हालांकि अभी भी स्क्रीन की लत एक भयावह परेशानी बनी हुई है, जिसमें 92% कहते हैं कि वे बिस्तर पर जाने से पहले अपने डिवाइसेज को देखते हैं।

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इंसान का नींद उसके जींस पर निर्भर

इंसान का नींद उसके जींस पर निर्भर करती है।किसको कितना सोना चाहिए ये जींस पर ही टिका है। आमतौर पर वयस्कों के लिए रात में सात से नौ घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन एथलीट्स को 10 घंटे तक सोना चाहिए, इससे उनकी परफॉर्मेंस अच्छी हो सकती है। क्योंकि इससे उनके शरीर में एनर्जी को रीस्टोर होने और मसल्स की मरम्मत में मदद मिलती है। हालांकि वयस्कों की तुलना में बच्चे अधिक सोते हैं. एक नवजात शिशु 14 से 17 घंटे सोता है।