श्रीनगर के बीचो-बीच जबरन पहाड़ियों के दामन में स्थित दल झील अपनी दिलकश नज़ारों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। अब इस झील में लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र बनी हुई है अनोखी ‘शिकारा एंबुलेंस’। इसकी जानकारी डल झील में रहने वाले तारिक अहमद पतलू ने दी। उन्होंने इस नाॅव को बनाने का बीड़ा उठाया है। इस नाॅव को बनाने में करीब 1 महीने का समय लगा। कश्मीर के रहने वाले तारिक अहमद ने अपने परिवार के साथ मिलकर कश्मीर डल झील में एक मोबाइल शिकार एंबुलेंस सेवा शुरू करने का फैसला लिया और 1 महीने की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने इसे तैयार किया। शिकार एंबुलेंस को बनाने में 12 लाख रुपए खर्च हुए।
तारिक अहमद ने बताया
उन्होंने बताया कि जब वह करोना संक्रमित हुए थे तो उसे कोई हाउसबोट अस्पताल ले जाने को राजी नहीं हुआ। उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि मेरे कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मेरे और मेरे परिवार वाले के लिए वो बहुत कष्टदायक समय था। किसी ने भी मुझे झील को पार कराने मेरी सहायता नहीं की ताकि मैं अस्पताल में इलाज करा सकूं। तब मैंने ठान लिया कि कश्मीर डल झील में वह एंबुलेंस शिकारा तैयार करेंगे, ताकि वैसे लोगों को आसानी हो सके जो डल झील के आसपास इलाके में रहते हो।https://www.fastkhabre.com/archives/2431
कश्मीर डल झील मे चलने वाली शिकारा एंबुलेंस में सुविधा
तारिक अहमद बताते हैं कि इस नाॅव को बनाने में करीब 1 महीने का वक्त लगा। उन्होंने इस नाॅव को बनाने में ज्यादातर लकड़ी और पारंपरिक सामग्री का इस्तेमाल किया है। वो इसमे मेडिकल इक्विपमेंट भी लगा रहे हैं। उनका कहना है कि झील में जरूरतमंद लोगों के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी किया जाएगा जिस पर लोग कॉल कर सकते हैं। इसमें मोटर भी लगाया गया है। इसमें डॉक्टर और पैरामेडिक लोगों को झील के अंदर ही प्राथमिक उपचार देंगे।
तारीख ने बताया कि 1865 में झेलम नदी में मरीजों को लाने और ले आने के लिए एक वोट हुआ करती थी।अब 155 साल के बाद यह सुविधा उन लोगों के लिए भी काफी उपयोगी होगा जो डल झील की आकर्षक सुंदरता को देखने आते हैं। अगर उस बीच कोई बीमार पड़ जाए तो तुरंत उसका उपचार हो सकेगा।