ओबेरॉय ग्रुप के मानद चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय (पीआरएस ओबेरॉय) का आज यानी मंगलवार की सुबह निधन हो गया। पीआरएस ओबेरॉय ने भारत में होटल व्यवसाय को नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें इस व्यवसाय चेहरा बदलने के लिए जाना जाता था। वह 94 साल के थे। पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय ने भारत में होटल इंडस्ट्रीज की सूरत बदल दी थी। पीआरएस ओबेरॉय ने साल 2022 में ईआईएच लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष और ईआईएच एसोसिएटेड होटल्स लिमिटेड के चेयरमैन के रूप में अपने पद छोड़ दिए थे।
पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय की सफलता की पूरी कहानी – Complete success story of Prithviraj Singh Oberoi
सफलता की सैकड़ों कहानियां आपने पढ़ी, सुनी और देखी होंगी। वैसे तो हर कहानी प्रेरणा देती है, लेकिन इसमें से कुछ ही ऐसी होती है तो इतिहास में एक मिसाल बन जाए। ओबरॉय ग्रप ऑफ होटल्स के संस्थापक मोहन सिंह ओबरॉय की सफलता भी इसी तरह की एक मिसाल है। पिता की मौत के बाद वे शिमला के एक होटल में रिसेप्शनिस्ट बन गए, ताकि परिवार का पेट पाल सकें। इस क्लर्क की नौकरी को शुरू करके उन्होंने अनुभव जुटाया और पहला होटल 1934 में खोला, जिसके बाद से अब तक इस ग्रुप के पास 31 लग्जरी प्रॉपर्टी बन चुकी है।
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मोहन सिंह ओबरॉय की जो ओबरॉय ग्रुप ऑफ होटल्स के मालिक हैं। उन्होंने काम की शुरुआत शिमला में स्थित सेसिल होटल से की थी, जहां बो एक डेस्क क्लर्क के रूप में काम करते थे। भारत विभाजन से पहले उनका जन्म झेलम जिले ( जो अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता की जल्दी मौत हो जाने की वजह से उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ आ गया।
मोहन सिंह ओबरॉय ने जूते की फैक्ट्री में किया काम
मोहन ओबरॉय ने परिवार को पेट पालने के लिए अपने चाचा की जूते की फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था कुछ ही दिन बाद भारत-पाक विभाजन के दौरान हुए दंगों की वजह से फैक्ट्री बंद हो गई फिर वह शिमला चले आए और यहां पर सेसिल होटल में क्लर्क की नौकरी करने लगे। उन्हें पता भी नहीं था कि यही हुनर एक दिन उन्हें देश के सबसे सफल होटल चेन बनाने में मदद करेगा।
मोहन सिंह ओबरॉय ने सेसिल होटल से पैसा और हुनर दोनों कमाया और साल 1934 में अपनी पहली प्रॉपर्टी ‘द क्लार्क होटल’ (The Clarkes Hotel) के रूप में बनाई। इस प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के जेवर सहित सभी संपत्तियों को गिरवी रख दिया। उनके मेहनत ने जल्द ही रंग दिखाना शुरू कर दिया। 5 साल के भीतर ही उन्होंने होटल से कमाई करके पूरा कर्जा उतार दिया।
अब तक मोहन सिंह ओबरॉय को पता चल चुका था कि उनकी किस्मत सही जगह ले आई है। इसके बाद उन्होंने कोलकाता के ग्रैंड होटल को खरीदने की ओर कदम बढ़ाया। उस दौरान कोलकाता में कालरा महामारी फैली होने के बावजूद मोहन सिंह ने यह डील पूरी की और आखिर उनका नाम एक विजनरी होटलियर के रूप में फेमस हो गया।
फिर Prithvi raj Singh Oberoi ने खड़ा किया पूरा साम्राज्य
इसके बाद तो जैसे Oberoi के विजन को पंख लग गया। उन्होंने भारत और दुनिया के कई देशों में एक के बाद एक होटल खरीदने शुरू कर दिए। वर्तमान में ओबरॉय ग्रुप के पास कुल 31 लग्जरी होटल और रिजॉर्ट हैं। इन सभी में ग्लोबल स्टैंडर्ड वाली सुविधा और सेवा मिलती है। भारतीय होटल उद्योग में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया उन्हें भारतीय होटल उद्योग का पिता कहा जाता है। अभी ओबरॉय ग्रुप की मार्केट वैल्यू करीब 12,700 करोड़ रुपये है। इस समूह के होटल भारत के अलावा चीन, यूएई, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका के अलावा और भी कई देशों में फैले हैं।
आपको बता दें कि पीआरएस ओबेरॉय को जनवरी साल 2008 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इंटरनेशनल लक्ज़री ट्रैवल मार्केट (ILTM) ने उनके असाधारण नेतृत्व, दूरदृष्टि और विकास में योगदान की वैश्विक मान्यता के रूप में दिसंबर 2012 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। ओबेरॉय समूह दुनिया की अग्रणी लक्जरी होटल श्रृंखलाओं में से एक है।