RBI Monetary Policy 2022-23 | 6 अप्रैल से शुरू होगी RBI मौद्रिक नीति की बैठक, ब्याज दर पर भी होगी मंथन | जानिए मौद्रिक नीति समिति क्या है और क्यों यह इतना महत्वपूर्ण है

RBI Monetary Policy 2022-23 : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 6 से 8 अप्रैल तक होगी। इस बैठक में रेपो रेट ( Repo rate ) पर फैसला होगा। इस बार ये देखना अहम होगा कि आरबीआई रेपो रेट में कोई बदलाव करता  है या वैसा ही रखा जाता है।

आपको बता दें कि ये वित्त वर्ष मौद्रिक नीति समिति 2022-23 की पहली बैठक है, इस पूरे साल में कुल छह बैठक होने वाली है। हर बार रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली यह समिति दरें तय करती हैं। वह मौजूदा घरेलू और आर्थिक स्थितियों पर विचार-विमर्श के बाद द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करती है।

RBI Monetary Policy 2022-23 मौद्रिक नीति समिति क्या है?

RBI Monetary Policy 2022-23MPC RBI का एक सरकार द्वारा गठित निकाय है, जो रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, बैंक रेट आदि जैसे टूल का उपयोग करके देश की मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार है। एमपीसी में छह सदस्य हैं, तीन सरकार द्वारा नामित और तीन आरबीआई के सदस्य हैं। आरबीआई गवर्नर समिति के अध्यक्ष होते हैं। एमपीसी आमतौर पर साल में छह बार मिलती है और प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल चार साल का होता है। एमपीसी के फैसले मतदान द्वारा लिए जाते हैं, जहां एक साधारण बहुमत (6 में से 4) किसी निर्णय को पारित करने के लिए आवश्यक होता है। RBI अधिनियम, 1934 RBI को मौद्रिक नीति निर्णय लेने का अधिकार देता है।

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एमपीसी क्यों महत्वपूर्ण है?

एमपीसी द्वारा निर्धारित दरें देश में जमा खातों के साथ-साथ ऋणों पर ब्याज दरों को निर्धारित करती हैं। उच्च ब्याज दरों का आम तौर पर मतलब है कि आरबीआई चाहता है कि लोग कम खर्च करें, यह बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। मुद्रास्फीति गिरने की स्थिति में, लोगों को

अधिक पैसा खर्च करने के लिए आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कमी की जाती है। कोविड -19 महामारी की स्थापना के बाद से, आरबीआई और दुनिया भर के अन्य केंद्रीय बैंकों द्वारा इस रुल का पालन किया जा रहा है। अब बजट 2022 के बाद पहली बार एमपीसी की बैठक हो रही है और यह देखना जरूरी है कि आरबीआई अब क्या रुख अपनाता है। ब्याज दरों का भारतीय शेयर बाजारों पर भी असर पड़ता है। उच्च ब्याज दरों की अवधि के दौरान, निवेशक अपना पैसा बैंकों में रखना पसंद करते हैं क्योंकि यह सुरक्षा और सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करता है।

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2022-2023 के लिए मौद्रिक नीति समिति की बैठक की समय सारणी

  • आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 6 से 8 अप्रैल को होगी।
  • आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दूसरी बैठक 6 से 8 जून को होगी।
  • वहीं, तीसरी, चौथी और पांचवी बैठकें क्रमश: 2 से 4 अगस्त, 28-30 सितंबर और 5-7 दिसंबर के बीच होंगी।
  • समिति की छठी बैठक 6 से 8 फरवरी-2023 को होगी।
  • गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति में केंद्रीय बैंक के दो प्रतिनिधियों के अलावा तीन बाहरी सदस्य होते हैं।

FAQS

Q: मौद्रिक नीति समिति के अध्यक्ष कौन हैं?

Ans: मौद्रिक नीति समिति के अध्यक्ष RBI के गवर्नर होते हैं

Q: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति क्या है?

Ans: केंद्रीय बैंक के नियंत्रण में लिखतों के उपयोग से है जिससे कि मुद्रा और ऋण की उपलब्धता, लागत और उपयोग को नियंत्रित किया जा सके। इसका उद्देश्य कम और स्थिर मुद्रास्फीति तथा विकास को बढ़ावा देने जैसे विशिष्ट आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करना है।

Q: मौद्रिक नीति कितने प्रकार के होते हैं?

Ans: मौद्रिक नीति सामान्यतः दो प्रकार के होते हैं (i) मात्रात्मक ( quantitative) सामान्य अथवा अप्रत्यक्ष नियंत्रण; (ii) गुणात्मक (qualitative) चयनात्मक अथवा प्रत्यक्ष नियंत्रण प्रथम श्रेणी के अंतर्गत बैंक दर में परिवर्तन खुले बाजार के प्रचालन तथा परिवर्तनशील आरक्षण आवश्यकताएँ सम्मिलित रहती हैं।

Q: मौद्रिक नीति के घटक क्या है?

Ans: रेपो दर (Repo Rate): वह ब्याज दर जिस पर रिज़र्व बैंक एक दिन-एक रात की तात्कालिक आवश्यकता के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। कई बार अपने रोज़मर्रा के कामकाज के लिये बैंकों को भी बड़ी-बड़ी रकमों की ज़रूरत पड़ जाती है और ऐसी स्थिति में वह देश के केंद्रीय बैंक से ऋण लेते हैं।