दिवाली के दिन सभी लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन करते हैं तो कई लोग माता लक्ष्मी के श्रीयंत्र का पूजन भी करते हैं। श्री यंत्र के पूजन की मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मनोकामना पूर्ण करती हैं, लेकिन अधिकतर लोगों को आज भी श्री यंत्र के पूजन की सही विधि पता नहीं है। श्री यंत्र के पूजन के अनुसार माता लक्ष्मी के 1008 नामों का सहस्त्रार्चन जरूरी है, तभी उसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। अगर ऐसा नहीं किया तो व्यक्ति को इच्छित लाभ की प्राप्ति नहीं होती और व्यक्ति माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का जतन करते रहते हैं।
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श्री यंत्र सहस्त्रार्चन क्या है – Shri Yantra Puja kya hai in hindi
सतना के ज्योतिषाचार्य बताते है कि संस्कृत में हजार की संख्या को सहस्र कहा जाता है और अर्चन अर्थात पूजन। अतः मां लक्ष्मी स्वरूप श्री यंत्र में एक हजार आठ की संख्या में किसी भी वस्तु-पूजा सामग्री को अर्पित करना और उनके इतने ही नामों को लेना सहस्रार्चन कहलाता है।
श्रीयंत्र पूजन की स्थापना कब हुई
श्री यंत्र अष्टधातु या सोने, चांदी, तांबा, पारा या स्फटिक के बने होते हैं। श्री यंत्र को घर लाएं, स्नान, ध्यान कर साफ़ सुथरे कपड़े पहन कर अपने घर के पूजा स्थल में लाल वस्त्र के आसन में श्रीयंत्र को स्थापित कर दें फिर गंगाजल से श्री यंत्र को स्नान करा लाल चंदन, लाल फूल, धूप दीप आदि से पूजा करने के बाद लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से माता लक्ष्मी के मंत्र जप करें
श्रीयंत्र की पूजा कैसे की जाती है
श्री यंत्र स्थापना के बाद पीले चावल, लाल फूल, सूखे मेवे, कमल के फूलों इत्यादि को मां लक्ष्मी के हर एक नाम का उच्चारण करने के बाद श्रीयंत्र में अर्पित करते जाना चाहिए साथ ही पूजयामी बोलें। जैसे- श्री लक्ष्मै नमः पूजयामी और जिस चीज से अर्चन कर रहे उसे श्री यंत्र पर चढ़ा दें, ऐसे आपको एक हजार आठ बार करना है। अर्चन के बाद उसे प्रसाद रूप अपने घर परिवार में बांट सकते हैं।
श्रीयंत्र पूजन में इन सामग्री का करें अपयोग
- पीले चावल से सहस्रार्चन करने से घर की गरीबी दूर होने लगती है।
- लाल फूलों से सहस्त्रार्चन किया जाए तो रुका हुआ पैसा जल्द प्राप्त होने का योग बनता हैं।
- सूखे मेवे से सहस्त्रार्चन किया जाए तो धन के साथ आरोग्यता भी प्राप्त होती है।
- कमल के फूल से किया गया सहस्त्रार्चन अत्यंत शुभ और तेजी से फल देने वाला होता है।
- इसके अलावा चांदी के सिक्के का भी सहस्त्रार्चन किया जाता है।
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Disclaimer : यह जानकारी पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है। इसमें किसी तरह से हुई तथ्यात्मक चूक के लिए फास्ट खबरे जिम्मेदार नहीं होगा।