कोरोना के बाद अब बच्चों में फैल रहा है एडिनोवायरस, एडिनोवायरस क्या है जानिए लक्षण, ऐसे करें इससे बचाव

बदलते मौसम के चलते पश्चिम बंगाल के बच्चों में एडिनोवायरस खतरनाक रूप लेता नजर आ रहा है। हालांकि राज्य के स्वास्थ्य विभाग को एडिनोवायरस से प्रभावित होने वाले बच्चों की मौतों का निश्चित आंकड़ा संकलित करना बाकी है, लेकिन अनौपचारिक अनुमान बताते हैं कि पिछले साल दिसंबर से अब तक दस से अधिक बच्चों की मौत सर्दी और सांस लेने की समस्याओं से हुई है।

हालांकि, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों, विशेष रूप से बाल रोग विशेषज्ञों के लिए एक सलाह जारी की है कि वे फ्लू जैसे लक्षणों के साथ भर्ती होने वाले बच्चों, विशेष रूप से दो साल या उससे कम उम्र के बच्चों का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि वे एडिनोवायरस से प्रभावित होने के लिए सबसे कमजोर हैं।

एडिनोवायरस क्या है

पिछले कुछ हफ्तों के दौरान राज्य संचालित अस्पतालों में भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। इन अस्पतालों में अधिकांश चाइल्ड केयर यूनिट्स पहले से ही भरे हुए हैं। वहां वेंटिलेटर लगभग 100 प्रतिशत भरे हुए हैं। निजी अस्पतालों और नसिर्ंग होम से बाल चिकित्सा बाल देखभाल इकाइयों में प्रवेश की इसी तरह की भीड़ की सूचना मिली है।

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एडिनोवायरस क्या है – Adenovirus kya hai

एडिनोवायरस क्या है

एडिनोवायरस एक तरह का वायरस है जो शरीर में हल्का और गंभीर दोनों तरह का संक्रमण कर सकता है। एडिनोवायरस का संक्रमण ज्यादातर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। इससे सांस लेने में दिक्कत आती है। यह बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को अपनी चपेट में ले सकता है।

एडिनोवायरस के लक्षण क्या है? Symptoms of adenovirus

एडिनोवायरस के सामान्य लक्षण फ्लू जैसे, सर्दी, बुखार, सांस लेने में समस्या, गले में खराश, निमोनिया और तीव्र ब्रोंकाइटिस हैं। दो साल और उससे कम उम्र के बच्चे इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

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एडिनोवायरस कैसे फैलता है ?

एडिनोवायरस एक ऐसा वायरस है जो त्वचा के संपर्क से, हवा से खांस लेने और छींकने से और संक्रमित व्यक्ति के मल के माध्यम से फैल सकता है। अब तक, वायरस के इलाज के लिए कोई अप्रूव्ड ड्रग या कोई विशिष्ट उपचार पद्धति नहीं है।

एडिनोवायरस का इलाज क्या है?

वर्तामान में इस वायरस से संक्रमित होने पर इलाज के लिए कोई विशेष कोर्स या स्वीकृत एंटी वायरल दवाएं नहीं हैं। चूंकि ज्यादातर मामले हल्के होते हैं, इसलिए उनका इलाज पेन-किलर्स या ऐसी किसी दवा से किया जाता है जो इसके लक्षणों में इलाज के काम आ सकती है।