चीन की अब एक और नई साजिश को देख भारत में बड़ेगी टेंशन

लद्दाख में भारतीय सेना से मात खाया चीनअब पूर्वोत्तर में तनाव बढ़ाने का कारण ढूंढ रहा है। पिछले कुछ महीने से चीन भारत की सरहदों पर घुसपैठ करने की कोशिश में लगा ही रहता है। जिससे दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी रहती है।जब लद्दाख में भारतीय सेना से मात खाने के बाद चीन पूर्वोत्तर में कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।

अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा के पास एयरवेज और रेल नेटवर्क के विस्तार के बाद अब जिनपिंग प्रशासन एक नये बांध को बनाने जा रहा है। यह बांध ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाया जाएगा जिसे चीन में यारलूंग त्सांग्पो के नाम से जाना जाता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने ऐलान किया है कि वे ब्रहमपुत्र के निचले इलाके मे बांध का निर्माण करेगा जो भारत की सीमा से बिल्कुल नजदीक है।

पहले भी ब्रह्मपुत्र नदी चीन से कब्जे वाली तिब्बत से मिलकर भारत में अरुणाचल प्रदेश के रास्ते प्रवेश करती है। चीन पहले भी इस नदी पर छोटे-छोटे 11 बांध बना चुका है। आम दिनों में इस नदी पर पानी की मात्रा सामान्य रहती है।

लेकिन बरसात के मौसम में चीन का बांध भर जाने से असम और बांग्लादेश को हर साल भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ता है। इस नदी पर चीन पनबिजली परियोजनाएं संचालित कर रहा है। 2015 से बड़ी तेजी से इसका काम चल रहा है। जिसमे से सबसे बड़ी परियोजना का नाम जंगमू है।

चीन द्वारा बनाए गए इस बांध का भारत पर असर

चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर जो बांध बना रहा है उससे भारत की चिंता बढ़ सकती है। यह डैम थी जार्ज डैम के बराबर की होगी। हालांकि चीन ने इस परियोजना को लेकर कोई बजट पेश नहीं किया है। सूत्रों का कहना है कि इस बांध के बनने से भारत और चीन के बीच विवाद और भी बढ़ सकता है। चीन अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं को लेकर भी भारत के साथ भी बात करता आया है। इसलिए वह इस राज्य को भारत का हिस्सा मानता ही नहीं है।

वहां की सरकार पहले से तिब्बत को अपने बिजली उत्पादन का एक बड़ा क्षेत्र मानती है। चीन में मौजूद कुल नदियों का एक चौथाई हिस्सा नदी इसी क्षेत्र में है। इसीलिए चीन की नजर यहां की नदियों के पानी का भरपूर उपयोग करने पर केंद्रित रहती है। चीन इस नदी के पानी को अपने सुखे और बंजर पड़े इलाके को उपयोग में लाने के लिए भी कर रहा है।

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