अभी-अभी बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर आई चौकाने वाली खबर

6 सितंबर 1993 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया। इससे हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे। हिंदू पक्ष का कहना था कि अयोध्या के ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्री राम जन्मभूमि पर कराया था। जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई।

मंदिर आंदोलन कर रहे संगठनों ने मिलकर मस्जिद के ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इस मामले में 49 ज्ञात और और लाखों अज्ञात लोगों के खिलाफ धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। सीबीआई के जांच शुरू करने के बाद अलग-अलग FIR को एक कर दिया।

30सितंबर 2020 को लखनऊ में 28 साल बाद सुनवाई हुई। जिसमें 32 लोग उपस्थित थे जिसमें 17 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ के समक्ष के आरोप पत्र दाखिल किए। जिसमें बाल ठाकरे , कल्याणसिंह, लालकृष्ण आडवाणी, अशोक सिंह, मोरेश्वर सावे ,पवन पांडे महाराज,स्वामी साक्षी, सुदीप कक्कड़ ,उमा भारती, जय भगवान गोयल, रामचंद्र खत्री, गांधी यादव, हरगोविंद सिंह और सतीश प्रधान समेत और अन्य लोग शामिल थे

अभी-अभी आया अदालत का फैसला

जज की ओर से अदालत में यह फैसला सुनाया गया कि अदालत सबूतों पर यकीन करता है। अदालत में कहा गया कि मस्जिद का ढांचा ध्वस्त करने पूर्व नियोजित नहीं था। मतलब मस्जिद का ढांचा ध्वस्त करने का पहले से कोई तैयारी नहीं थी, जो भी हुआ अचानक हुआ इससे साबित होता है की अदालत ने सारे आरोपियों को उस मामले से मे बरी कर दिया।

कोर्ट के फैसले से आरोपियों के बीच खुशी की लहर और कोट से जैसे ही फैसला आया। कानून मंत्री रविशंकर खुद आडवाणी से मिलने उनके निवास गए, और सभी आरोपियों के बीच खुशी की लहर दौड़ रही है। आरोपियों का कहना है कि यह सब हम लोग श्री राम के लिए किया और यह सब हमसे श्रीराम ने करवाया, और आगे भी श्रीराम के लिए करते रहेंगे।