Metabolism meaning in Hindi | मेटाबॉलिज्म क्या होता है जानिए इसके लक्षण और कौन-कौन से फैक्टर्स इसे अधिक प्रभावित करते हैं

Metabolism meaning in Hindi : आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में बढ़ते वजन पर काबू पाने में असफल होने पर हम कई बार शरीर के धीमे मेटाबॉलिज्म को दोष देने लगते हैं, और यह सच भी है कि हमारे वजन और मेटाबॉलिज्म में गहरा संबंध है, पर मोटापे का कारण मेटाबॉलिज्म ही नहीं होता है। हमारी अस्वस्थ और अनियमित दिनचर्या के कारण भी हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिसके लक्षण हमें अपने शरीर में मोटापे के रूप में दिखते हैं।

अगर आप ध्यान देंगे तो यही बात सर्दियों पर भी लागू होती है। सर्दियों में शरीर को ज्यादा गर्मी की जरूरत पड़ती है। भूख तेज लगती है, डाइट बढ़ जाती है, लेकिन शरीर की सक्रियता घट जाती है। देखा जाए तो मेटाबॉलिज्म खुद से सुस्त नहीं होता है। हमारी दिनचर्या के सुस्त होने से मेटाबॉलिज्म की दर धीमी हो जाती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि metabolism kya hota hai in Hindi तो चलिए इस आर्टिकल में मेटाबॉलिज्म से जुड़ी तमाम जानकारी बारे में जानते हैं आर्टिकल को नीचे पूरा पढ़ें।

आपके शरीर में भोजन का उर्जा में परिवर्तित होना मेटाबॉजिल्म कहलाता है। मेटाबॉलिज्म अच्छा होने पर आपका शरीर सही तरीके से काम करता है। इसके अलावा आपके शरीर पर रासायनिक प्रतिक्रिया के प्रभाव को भी मेटाबॉजिल्म कहते हैं। ये रासायनिक प्रतिक्रियाएं आपके शरीर को जीवित एवं सक्रिय बनाएं रखने का काम करती हैं। जब आपके शरीर का मेटाबॉजिल्म तेज होता है, तब आप आसानी से अधिक कैलोरी बर्न कर पाते हैं, उनकी तुलना में जिनका मेटाबॉजिल्म धीमा होता है। इसके साथ ही साथ ये वजन कम करने में भी बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा मेटाबॉजिल्म बेहतर होने पर आपको अधिक उर्जा मिलती है और आप खुद को अच्छा और स्वास्थ्य महससू करते हैं।

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मेटाबॉलिज्म कितने प्रकार के होते हैं – Metabolism meaning in Hindi

मेटाबॉलिज्म आमतौर पर दो प्रकार के होते है- ‘हाई मेटाबॉलिज्म’ और ‘स्लो मेटाबॉलिज्म’। मेटाबॉलिज्म के दोनों प्रकार हमारी सेहत को प्रभावित करते हैं। इसलिए इसका संतुलित होना बेहद ही जरूरी होता है।

स्लो मेटाबॉलिज्म ( slow metabolism kya hai )

अगर शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रकिया धीमी हो जाती है, तो शरीर भी सुस्त हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति डिप्रेशन में भी आ सकता है। ठंड या गर्मी ज्यादा लगने लगती है और ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार मेटाबॉलिज्म कम होने के कई कारण भी हो सकते हैं, जिनमें हाइपोथेडिज्म, कुपोषण, असंतुलित भोजन, व्यायाम न करना और एंट्री डिप्रेशन दवाओं का इस्तेमाल करना प्रमुख हैं। ऐसे में ट्यूमर, ब्रेन टयूमर, एडलीन (शरीर में पानी का भर जाना) और दिल संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

हाई मेटाबॉलिज्म ( fast metabolism kya hai)

मेटाबॉलिज्म ज्यादा होने पर शरीर गर्म रहने लगता है और दिल की धड़कनें भी तेज होने लगती हैं। ऐसी परिस्थिति में भूख ज्यादा लगती है और बुखार के लक्षण भी उभर सकते हैं।
हाई मेटाबॉलिज्म के कारणों की बात करें, तो इसमें ब्रेन हार्मोन एवं थायराइड हार्मोन का बढ़ना, दवाओं का असर, किडनी की ग्लेंड्स का बढ़ना जिम्मेदार हो सकता है। कई मामलों में अनुवांशिक कारण भी हाई मेटाबॉलिज्म का कारण हो सकते हैं। हाई मेटाबॉलिज्म से भी ब्रेन टयूमर, हाइपरथाइराडिज्म और किडनी संबंधी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

मेटाबॉलिज्म (चयापचय) कैसे कार्य करता है? 

Metabolism meaning in Hindi

हार्मोन और तंत्रिका तंत्र हमारे चयापचय को नियंत्रित करते हैं। जब हम भोजन का उपयोग करते हैं, तो पाचन एंजाइम कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को एक ऐसे रूप में तोड़ देते हैं जो शरीर विकास या ऊर्जा के लिए उपयोग कर सकता है।

चयापचय या मेटाबोलिज्म के दौरान, चयापचय की दो प्रक्रिया होती है जो एक ही समय में होती हैं – शरीर के ऊतकों का निर्माण और ऊर्जा का भंडारण, या एनाबोलिसिज़्म और अपचयवाद। चयापचय इन प्रक्रियाओं का एक संतुलित कार्य है-

  • एनाबोलिज़्म – प्रक्रिया जिसमें ऊर्जा का उपयोग नए कोशिकाओं के विकास के लिए और हमारे शरीर के ऊतकों को बनाए रखने के लिए किया जाता है, और ऊर्जा को वसा के रूप में संग्रहित किया जाता है
  • अपचय – ऊर्जा-मुक्त प्रक्रिया जहां हमारे भोजन से बड़े अणु, जैसे कि कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन, शरीर के लिए तत्काल ऊर्जा प्रदान करने के लिए छोटे अणुओं में टूट जाते हैं। यह ऊर्जा शरीर को गर्म करने जैसी प्रक्रियाओं के लिए ईंधन प्रदान करती है और हमारी मांसपेशियों को स्थानांतरित करने की अनुमति देती है।

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मेटाबोलिज्म के क्या क्या लक्षण है 

चयापचय रोग के लक्षण

1. थकान रहना

जिस व्यक्ति को चयापचय यानि मेटाबॉलिजम जैसी समस्या होती है तो उसे अधिक थकान रहने लगती है, जिसके कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जैसे कि अधिक काम ना कर पाना, कही ज्यादा देर तक नहीं घूम पाना इत्यादि।

2. हाई कलेस्ट्रॉल होना

हाई कलेस्ट्रॉल  हो जाए तो व्यक्ति अपनी बीमारियों से और भी ज्यादा परेशान हो जाता है क्योंकि इसके कारण ना ही वो कुछ ज्यादा बाहर का खा पाता है और ना ही कही इतनी आसानी से ट्रेवल कर पाता है।

 3. स्किन का ड्राई होना

ड्राई स्किन का होना  हर किसी की परेशानी है क्योंकि ड्राई स्किन से हमारे शरीर में हर समय रूखापन और खुशकी वनी रहती है जिसके कारण काफी दिक्कत होती है, हमेशा खुजली जैसा अहसास होता है। इसके बढ़ने से हमारे शरीर में कई तरह की तकलीफ होना शुरू हो जाती है।

4. मांसपेशियों में कमजोरी

चयापचय के कारण हमेशा आपकी मांसपेशियों में कमजोरी वनी रहती है, जिसके कारण आपको चलने में कहीं चढ़ने में और ज्यादा देर तक खड़े रहने में तकलीफ होती है यही कारण है कि, ज्यादातर लोग इसके शिकार होते हैं। ये लोगों को तकलीफ देता है।

5. वजन का बढ़ना

वजन बढ़ना इसके बारे में सुनकर ही लोगों का दिमाग खराब होना शुरू हो जाता हौ। ऊपर से चयापचय जिसके कारण वजन और तेजी से बढ़ रहा हो वो चीज इंसान को और डरा देती है।

6. जोड़ों में सूजन रहना

जोड़ों में सूजन भी आपको चयापचय के कारण हमेशा रहती है क्योंकि इसके बढ़ने से वजन बढ़ता है कलेस्ट्रॉल बढ़ता है जिसके कारण उसका असर आपके जोड़ो तक पहुंचता है और आपके जोड़ो की सूजन बढ़ जाती है।

मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स क्या क्या हैं?

मेटाबॉलिज्म इन सब कारणों से प्रभावित हो सकते हैं जिसमें यह सब फैक्टर्स मुख्य है

शरीर की संरचना और आकार

जो लोग आकार में बड़े यानी जिनका शरीर सामान्य से अधिक चौड़ा होता है, उनके शरीर में मांसपेशियां भी अधिक होती है। ऐसे में उनका शरीर आराम करने की स्थिति में भी अधिक कैलोरी बर्न कर सकता है। जो मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने में मुख्य कारण हो सकती हैं।

सेक्स (लिंग)

शारीरिक तौर पर महिला या पुरुष होना भी मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर सकता है। आमतौर पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों के शरीर में चर्बी कम होती है, हालांकि उनमें महिलाओं की तुलना में मांसपेशियां अधिक होती हैं। जिसका सीधा मतलब है कि एक महिला के मुकाबले पुरुष अधिक कैलोरी बर्न कर सकते हैं।

उम्र

जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती हैं, आपकी मांसपेशियों का आकार भी घटने लगता है और आपके शरीर में ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल होने वाली फैट जमा होने लगती है।इसके अलावा, हमारे शरीर में ऐसी दो प्रक्रियाएं भी होती है, तो चयापचय की दर को निर्धारित करती है।

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मेटाबॉलिज्म में भूलकर भी ना करें ये गलतियां

प्रोटीन की कमी

विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रोटीन की सही मात्रा बहुत जरूरी है। प्रोटीन की कमी मेटाबॉलिज्म को धीमा कर सकती है। दरअसल प्रोटीन को पचने के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अन्य श्रेणी के खानपान के मुकाबले प्रोटीनयुक्त खाने को पचाने में शरीर को दोहरी मेहनत करनी पड़ती है। मेटाबॉलिज्म बढ़ाना चाहते हैं तो प्रोटीन को अवश्य बढ़ाएं। इसके लिए टोफू, नट्स, अंडा, मछली, दाल और डेयरी प्रोडक्ट अच्छा विकल्प हैं।

व्यायाम  (Exercise)

शारीरिक गतिविधियों की कमी न करें। अनियमित व्यायाम भी मेटाबॉलिज्म को धीमा कर सकता है। मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना सबसे प्रभावी है। इससे नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, मांसपेशियां बनती हैं, जो आपके आरएमआर को हाई करता है।

तनाव (Tension)

तनाव मेटाबॉलिज्म को तो धीमा करता ही है, सेहत को और भी कई तरह से नुकसान पहुंचाता है।

नींद मे कमी

अधूरी नींद मेटाबॉलिज्म के लिए नुकसानदेह है। सात घंटे से कम की नींद शरीर और मेटाबॉलिज्म दोनों के लिए अच्छी नहीं है। हमारा शरीर दिनभर में जितनी कैलरी की खपत करता है, कम नींद उस संख्या को घटा सकती है। द अमेरिकन जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में आए 2011 के एक अध्ययन के अनुसार, नींद की कमी वजन बढ़ने का कारण बन सकती है। इससे जंक फूड या रात में देर तक खाने की प्रवृति बढ़ती है। साथ ही कैलरी की खपत दर भी कम होती है।

नाश्ता ना करना

सुबह नाश्ता न करने की आदत मेटाबॉलिज्म के लिए सबसे बड़ा खतरा है। दिनभर लिए जाने वाले किसी भी भोजन के बीच लंबा अंतराल नहीं होना चाहिए। हर दो-तीन घंटे के बाद छोटे-छोटे मील लेने चाहिए। खाने के बीच में लंबा अंतराल आपके शरीर को स्टार्वेशन यानी सुप्तावस्था में पहुंचा देता है। यह आदत मेटाबॉलिज्म को धीमा करती है। हृदय व पाचन-तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है।

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के घरेलू उपाय

मेटाबॉलिज्म तेज करने के उपाय-Metabolism boosting foods

दालचीनी की चाय पिएं

दालचीनी की चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कि मेटाबोलिक रेट को तेज करता है और खाना पचाने में मदद करते हैं। ये दालचीनी फैट पचाने में मददगार है और वेट लॉस में मदद करता है। आप मेटाबॉलिज्म तेज करने के लिए सुबह सबसे पहले दालचीनी की चाय पिएं या सोने से पहले दालचीनी की चाय पिएं।

देसी घी का सेवन करें

घी के फैटी एसिड्स पेट में डाइजेस्टिव एंजाइम्स को बढावा देते हैं और तेजी से खाना पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा घी आंतों को चिकनाहट की प्रदान करता है और आंतों सें गंदगी को साफ करने में मदद करता है। इस तरह मेटाबोलिज्म तेज करके मल त्याग को तेज करता है।

खानें में अजवाइन का इस्तेमाल करें

खाने में अजवाइन का सेवन पाचन क्रिया तेज करने में मदद करता है। ये डाइजेस्टिव एंजाइम्स के काम काज को बेहतर बनाता है और मेटाबोलिज्म तेज करता है। इसलिए मेटाबोलिज्म तेज करने के लिए आपको खानें में अजवाइन को जरूर शामिल करना चाहिए।

ब्रेकफास्ट मे भरपूर प्रोटीन ले

ब्रेकफास्ट में प्रोटीन से भरपूर फूड्स का सेवन आपकी कई समस्याओं को कम कर सकता है। ये पहले तो सुबह-सुबह ही मेटाबोलिज्म को एक किक स्टार्ट देता है और पेट की विभिन्न समस्याओं को कम करता है। इसलिए मेटाबोलिज्म सही रखने के लिए ब्रेकफास्ट में प्रोटीन युक्त भोजन लें जैसे  दही, दूध, पनीर और नट्स आदि ।

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मेटाबॉलिज्म बढ़ाने की दवा

अश्वगंधा

अश्वगंधा का पाउडर अपने खाने में मिलाकर खाने से आप अपना वज़न काफी जल्दी घटा सकते हैं। साथ ही, अश्वगंधा की चाय पीने से आपका मेटाबोलिज्म भी बूस्ट होता है। इसके अलावा, ब्लड शुगर और स्ट्रेस को कम करने में भी अश्वगंधा बेजोड़ है जिससे आप एक अच्छी नींद ले पाते हैं। इतना ही नहीं, अश्वगंधा डाइजेशन पॉवर को भी बढ़ाता है। थायराइड से अफेक्टेड लोगों को तो इसका सेवन ज़रूर ही करना चाहिए।

आंवला

आंवला रोज़ाना खाना, आपकी सेहत के साथ साथ स्किन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर कर सकता है। आंवला खाने से आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है, मेटाबॉलिज्म बेहतर काम करता है, वज़न तेज़ी से घटेता है और ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है।

मुलेठी

रोज़ाना मुलेठी खाने से आप वज़न कंट्रोल करने के साथ-साथ सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से भी छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही, इसका सेवन आपको स्ट्रेस और कमज़ोर याददाश्त जैसी मेंटल प्रॉब्लम्स से भी दूर रखने में असरदार है।

 जायफल

जायफल का इस्तेमाल आमतौर पर मसालों के रूप में किया जाता है। इसको रोज़ाना खाने से वज़न कम होता है और अच्छी गहरी नींद आती है। इसके अलावा, ये दिल से जुड़ी बीमारियों से भी आपको बचाता है।

शतावरी

शतावरी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है। इसमें स्टेरॉइडल सैपोनिन और फ्लेवोनॉयड्स नामक तत्व होते हैं, जो डाइजेशन को बेहतर बनाने का काम करते हैं। इसके इस्तेमाल से इम्यून सिस्टम मज़बूत और मेटाबोलिज्म स्ट्रांग होता है।

अजमोद

फाइबर से भरपूर अजमोद वज़न कम करने और डाइजेस्टिव सिस्टम को बेहतर बनाने में बेजोड़ है। इसके साथ ही, डायबिटीज रोगियों के लिए ये बेहद फायदेमंद होता है। ‌‌

Disclaimer: इस आर्टिकल में metabolism meaning in Hindi से जुड़ी तमाम जानकारी विस्तार में बताई गई है। यह जानकारी एक सामान्य ज्ञान पर आधारित है। फास्ट खबरें इसकी कोई पुष्टि नहीं करता है। आप किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

FAQ:

Q: मेटाबॉलिज्म का मतलब क्या होता है?

Ans: हम जो खाते-पीते हैं, उसको पचाकर ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया को मेटाबॉलिज्म कहते है। सामान्य शब्दों में यह वह प्रक्रिया है, जो कैलरी को ऊर्जा में बदल देती है। हमारे शरीर को हर समय ऊर्जा की जरूरत होती है। शरीर में मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया 24 घंटे चलती रहती है।

Q: बसा का मेटाबॉलिज्म क्या है?

Ans: मांसपेशियों के ऊतकों को वसा ऊतकों की तुलना में खुद को बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इससे जब आप आराम कर रहे होते हैं तब मेटाबॉलिज्म बढ़ता है।

Q: मेटाबॉलिज्म बढ़ने से क्या होता है?

Ans: मेटाबॉलिज्म जितना अधिक होगा, आप उतनी ही अधिक कैलोरी बर्न करेंगे। आप जितनी अधिक कैलोरी बर्न करते हैं, उतना ही अधिक वजन कम होता है। उच्च मेटाबॉलिज्म होने से आप ऊर्जावान रहते हैं और आप पूरे दिन बेहतर महसूस करते हैं। बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने मेटाबॉलिज्म पर ध्यान दें।

Q: मेटाबॉलिज्म कम होने से क्या होता है?

Ans: मेटाबॉलिजम कम होने से स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियां बढ़ सकती है।  इसकी वजह से मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, थकान, मोटापा आदि समस्या हो सकती है। लोगों की खराब लाइफस्टाइल से जुड़ी आदते हैं जिसकी वजह से मेटाबॉलिक रेट स्लो हो जाता है। इसकी वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है ।

Q: मेटाबॉलिज्म कितना होना चाहिए?

Ans: सामान्य तौर पर आरएमआर के लिए एक वयस्क महिला को दिनभर में 1200 कैलरी की जरूरत होती है। वहीं 200-400 अतिरिक्त कैलरी रोजाना की शारीरिक गतिविधियों के लिए जरूरी होती है। उधर पुरुषों के लिए 1300 कैलरी आरएमआर के लिए जरूरी होती हैं। शारीरिक गतिविधियों के लिए उन्हें अतिरिक्त 1400-1600 कैलरी की जरूरत होती है।